द्रौपदी मुर्मू ने ली देश के राष्ट्रपति पद की शपथ, कार्यभार संभाला
नई दिल्ली। द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। साथ उन्हें मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि लोगों की आत्मीयता, विश्वास और सहयोग से उन्हें नए दायित्व का निभाने की ताकत मिलेगी।
सोमवार को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित समारोह में द्रौपदी मुर्मू ने देश की 15 वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली। उन्हें देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्तिएनवी रमणा उन्हें शपथ दिलाई। इस मौके पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मैं भारत के समस्त नागरिकों की आशा-आकांक्षा और अधिकारों की प्रतीक इस पवित्र संसद से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती हूं। कहा कि लोगों की आत्मीयता, आपका विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में ताकत देंगे।
उन्होंने देश के सभी सांसदों और विधायकों का भी आभार प्रकट किया। कहा कि मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने ऐसे समय में चुना है जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। कहा कि आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।
कहा कि ऐसे ऐतिहासिक समय में जब भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है, मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है। मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है. अपने संबोधन में द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है।
संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन के बारे में भी बताया। कहा कि उनकी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी। मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था. लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी।
इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोक सभा के स्पीकर ओ बिरला, कई केंद्रीय मंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे।