उत्तराखंड

देवस्थानम एक्टः मनोहर कांत ध्यानी के सीन में आने में हो गई देर

देहरादून। देवस्थानम एक्ट के विरोध को थामने के लिए सरकार ने प्रयास बहुत देर से शुरू किए। इससे भाजपा को शायद ही लाभ हो।

उल्लेखनीय है कि आदिधाम श्री बदरीनाथ समेत श्री केदारनाथ, श्री गंगोत्री, श्री यमुनोत्री और 47 अन्य मंदिरों पर भाजपा सरकार ने चारधाम देवस्थानम एक्ट लागू कर दिया। मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण के खिलाफ रही भाजपा का देवभूमि में ये नया चेहरा है।

ये एक्ट राज्य के मात्र चार जिलों पर लागू होता है। बहरहाल, तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी पहले दिन से ही इसका विरोध कर रहे हैं। विरोध को भाजपा सरकार ने कभी तवज्जो नहीं दी। विरोध को देश भर में मिल रहे धर्मानुरागियों के समर्थन के बाद भाजपा सरकार बैकफुट पर दिख रही है।

सरकार ने अब बातचीत का दौर शुरू किया है। हालांकि इसमें देर बहुत हो गई। इसका लाभ भाजपा को शायद ही मिले। तीर्थ पुरोहितों के विरोध के निस्तारण और उनके सवालों को सुनने के लिए पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है।

ध्यानी स्वयं श्री बदरीनाथ के तीर्थ पुरोहित हैं और भाजपा के बड़े चेहरे रहे हैं। आंदोलन के दौरान उन्होंने कभी पुरोहितों के पक्ष में आवाज नहीं उठाई। ऐसे में भाजपा की कुर्सी पर बैठे ध्यानी की बात तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी कैसे मान लेंगे या उन तक अपनी बात पहुंचाने में कैसे रूचि दिखाएंगे ये देखने वाली बात होगी।

वैसे भी अधिकांश धामों के तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि पहले देवस्थानम एक्ट समाप्त करो उसके बाद ही बात होगी। सरकार द्वारा गठित कमेटी का लगातार विरोध भी हो रहा है।

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