परमार्थ निकेतन में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का राज्यपाल ने किया उदघाटन
ऋषि टाइम्स न्यूज
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में 36 वें अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का राज्य के राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह ने उदघाटन किया। योग महोत्सव में 75 देशों के एक हजार से अधिक योग साधक शिरकत कर रहे हैं।
शनिवार को प्रदेश के राज्यपाल राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह और परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती,महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती और 25 देशों से आए योगाचार्य, 75 देशों से आए योग साधकों की मौजूदगी दीप प्रज्जवित कर 36 वें योग महोत्सव का शुभारंभ किया। इस मौके पर राज्यपाल ले. ज. सिंह ने कहा कि यह क्षण अदभुत है, यह क्षण दैविय है; यह क्षण डिवाइन है, यह क्षण हैप्पीनेस प्रदान करने वाला है।
उन्होंने ऊँ, शान्ति मंत्र और श्री गणेश जी के मंत्रों का उच्चारण कर मंत्रों की महिमा बड़ी ही सरलता से साझा करते हुये कहा हम भारतीय संस्कृति में पंच तत्वों के शान्ति की प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि परमार्थ का अर्थ है परम – अर्थ अर्थात यह जीवन के गहरे अर्थ को दर्शाता है।
परमार्थ निकेतन, माँ गंगा व भगवान शिव के अद्भत संयोग की धरती है। साथ ही यह शरीर, मन और आत्मा के मिलन की भी धरती है। इन सात दिनों में यहां पर आपको वे डिवाइन तरंगे मिलेगी जिससे आपके आन्तरिक वातावरण में विलक्षण परिवर्तन होगा। इस सात दिनों में आप अपने आप से अपनी आत्मा से जुड़ कर स्वयं को गहराई से पहचान सकते हैं। इन सात दिनों में आप अपने आपको एक दूसरे स्तर पर; दैविय स्तर पर ले जा सकते हैं। योग का यह पथ आपके जीवन में अद्भुत परिवर्तन लेकर आयेगा।
यह आपके लिये गेमचेंजर होगा और आप यहां से योग के आइकॉन बनकर जायेंगे। परमार्थ निकेतन, योग का प्रमुख केन्द्र है। यह दिव्य भूमि है, ऋषियों के तप व तपस्या की भूमि है; यह योग की असाधारण भूमि है। आप सभी यहां पर प्राणायाम, ध्यान व योग की विभिन्न विधाओं से गहराई से जुड़कर तनाव और टेंशन को दूर कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत का प्रत्येक नागरिक एक सैनिक है, स्कॉलर है और संत है। अगर आपको वसुधैव कुटुम्बकम् और सौहार्द का दर्शन करना है तो वह केवल परमार्थ निकेतन गंगा तट पर हो सकता है।
आप सभी का इन सात दिनों का अनुभव आपकी जिन्दगी को बदलने वाला होगा। मैं आप सभी का भारतीय संस्कृति, भारत भूमि, भगवान शिव की भूमि उत्तराखं़ड में अभिनन्दन करता हूँ। यह आप सभी की आत्मा, चित्त और चेतना को बदलने वाला महोत्सव है। उन्होंने सभी को नमस्कार! प्रणाम! कर ऊँ के उच्चारण के साथ अपना उद्बोधन पूर्ण किया।
इस मौके स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि योग पूरे विश्व को एक सूत्र में जोड़ता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में योग सिर्फ शरीर ही नहीं बल्कि वैश्विक संबंधों को जोड़ने के लिए भी जरूरी है। योग वैश्वििक शांति और अहिंसा की स्थापना का सर्वश्रेष्ठ उपकरण है।
सध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत धैर्य की धरती है। उन्होंने इसे पासी से महसूस किया और देखा। यहां धैर्य, सहनशीलता, शांति, उदारता के दिव्य गुण सहज तौर पर स्वभाव में हैं। योग महोत्सव इन्हीं दिव्य गुणों का समग्र पैकेज है।
इससे पूर्व राज्यपाल का परमार्थ निकेतन पहुंचने पर ऋषि कुमारों ने वेद मंत्रों के साथ उनका स्वागत किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने राज्यपाल को श्री गणेश जी की दिव्य प्रतिमा और रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।