वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज के लाइव प्रोग्राम में स्वामी चिदानंद सरस्वती ने दिया स्वच्छता का संदेश
ऋषिकेश। विश्व शौचालय दिवस पर वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज के लाइव कार्यक्रम दुनिया में स्वच्छता का संदेश दिया गया। इस दिशा में हो रहे प्रयासों को और गति देने और लोगों को स्चच्छता हेतु प्रेरित करने पर जोर दिया गया।
‘सेफर टायलेट, हैल्थीयर वर्ल्ड’ कार्यक्रम का आयोजन मिशन पानी द्वारा किया गया। स्वच्छता के क्षेत्र में काम कर रहे तमाम लोगों ने इसमें शिरकत की और सुझाव भी रखे। इस मौके पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने महात्मा गांधी के कथन से अपने उद्बोधन की शुरूआत करते हुये कहा कि ‘साफ-सफाई, ईश्वर भक्ति के बराबर है।
बापू ने कहा कि ’’स्वच्छता, स्वतंत्रता से भी ज्यादा जरूरी है’’ ’’स्वच्छता, हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है अतः स्वच्छता को अंगीकर कर आगे बढ़ते रहे।’’ उन्होंने कहा कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ही ने स्वच्छता अभियान का शंखनाद किया और अब यह जन-जन का अभियान बन गया।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि शौचालय माने सुरक्षा, स्वास्थ्य, सम्मान और संस्कार इसलिये शौचालय और स्वच्छता को धर्म बनाये क्योंकि बंदगी और गंदगी, पूजा और प्रदूषण साथ साथ नहीं चल सकते। अतः हम सभी को स्वच्छता का संकल्प लेना होगा क्योंकि हम बदलेगे तो परिवार बदलेगा, गली बदलेगी तो गांव बदलेगा, मुहल्ले बदलेगे तो मुल्क बदलेगा। स्वच्छता ही हमारा संस्कार है, स्वच्छता ही धर्म है और स्वच्छता ही सेवा है यह भाव हर व्यक्ति के अन्दर होना चाहिये। स्वच्छता और पानी के संरक्षण के लिये हमें अपनी सोच को बदलना होगा। सोच बदलेगी तो सितारे बदलेगे, नजर बदलेगी तो नज़ारे बदलेगे और फिर पूरे विश्व में स्वच्छता क्रान्ति आयेगी।
कहा कि स्वच्छ राष्ट्र के निर्माण हेतु हमारे स्वच्छता कार्यकर्ताओं अमूल्य योगदान हैं। वे अवरुद्ध शौचालय और सेप्टिक टैंक को साफ करते हैं। संत भीतर की स्वच्छता करते है और स्वच्छता दूत बाहरी परिवेश को स्वच्छ रखते हैं। हमें भीतर और बाहर दोनों ही स्वच्छताओं के लिये अपनी सोच को बदलना होगा।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि हमारा देश खुले में शौच से मुक्त हो गया है परन्तु हमें अभी भी शौचालय और माहवारी को लेकर जो मिथक समाज में फैले है उसके लिये मिलकर कार्य करने की जरूरत है तभी महिला सशक्तिकरण सम्भव हो सकता है। हम सभी को जल के महत्व को समझना होगा हम अपने बच्चों के लिये पैसे तो कमा लेते है परन्तु हमें उन्हें जल संरक्षण का संदेश भी देना होगा।
कहा कि भारत में 25 प्रतिशत लड़कियां उनकी माहवारी शुरू होने की उम्र में स्कूल छोड़ देती है उसकी एक वज़ह यह भी है कि स्कूलों में शौचालय का न होना या स्वच्छ शौचालय का न होना इसलिये इस ओर अभी और कार्य करने की जरूरत है।
इस विशेष कार्यक्रम में ऋषिकेश शहर के पर्यावरण मित्रों ने शिरकत की। स्वामी और साध्वी ने सभी स्वच्छता कर्मियों का अभिनन्दन करते हुये उन्हें एक विशेष स्वच्छता किट प्रदान किया। तत्पश्चात परमार्थ निकेतन में दिव्य वृक्षों के नीचे प्राकृतिक प्रांगण में पर्यावरण प्रेमियों, अध्यापकों आदि ने स्वच्छता के लिए जन-जन को प्रेरित करने का संकल्प लिया।