सनातनी परिभाषित हैं तीर्थ पुरोहितों के अधिकारः कोटियाल
ऋषिकेश। आदिधाम श्री बदरीनाथ समेत राज्य के चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों हक हकूकधारियों के अधिकार/कर्तव्य सनातनी परिभाषित हैं। इसे सरकार देवस्थानम एक्ट की हेडलाइन बनाने का प्रयास न करें।
ये कहन है चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूधारी महापंचायत के अध्यक्ष कृष्ण कांत कोटियाल का। कोटियाल राज्य के धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज के मीडिया में चल रहे बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। कहा कि देवस्थानम एक्ट को ये कहकर अच्छा बताया जा रहा है कि इसमें पहली बार तीर्थ पुरोहितों के अधिकारों परिभाषित किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि ये सरासर गलत है। आदि धाम श्री बदरीनाथ, श्री केदारनाथ, श्री गंगोत्री, श्री यमुनोत्री समेत तमाम मंदिरों में तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारियों के अधिकार सनातन परंपरानुसार परिभाषित हैं। उनके कर्तव्य भी स्पष्ट हैं।
इस परंपरानुसार धामों की व्यवस्थाएं बगैर किसी विवाद की चल रही है। ऐसे में भला एक्ट की क्या जरूरत है। कि विकास के नाम पर मंदिरों की परंपरागत व्यवस्थाओं पर एक्ट थोपना ठीक नहीं है। इसका हर स्तर पर विरोध होगा।
उन्होंने कहा कि श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति स्वायतशाषी संरचना के तहत अच्छा काम कर रही थी। समिति ने हर व्यवस्था को अच्छे से मैनेज किया। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार को धामों की व्यवस्था का रिमोट देहरादून में क्यों चाहिए।