ऋषिकेश

गजबः ऋषिकेश भारी मंत्रालय पर इतराता रह गया और नगर निगम के साथ हो गया अन्याय

ऋषिकेश। नगर निगम ऋषिकेश में वास्तविक लोकतंत्र दिखा। शहर की बेहतरी के लिए पक्ष-विपक्ष एकजुट हुआ और बजट आवंटन में शहर के साथ हुए अन्याय के मामले को मुख्य सचिव के सम्मुख रखने का निर्णय लिया।

उल्लेखनीय है कि पंचम वित्त आयोग के तहत ऋषिकेश नगर निगम को आवंटित धनराशि में गत आवंटन के मुकाबले कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। जबकि राज्य के सात अन्य निगमों का बजट बढ़ाया गया है। इसको लेकर नगर निगम और बाहर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।

इसकी वजह ये है कि ऋषिकेश विधायक राज्य के वित्त और शहरी विकास मंत्री भी हैं। शहर इस पर खूब इतरा भी रहा है। बावजूद इसके ऋषिकेश की उपेक्षा किसी के गले नहीं उतर रही है।

मंगलवार को इस मामले में नगर निगम मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं की अध्यक्षता में हुई बैठक में पार्षदों ने ऋषिकेश की उपेक्षा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कहा कि जो बजट आवंटित हुआ है वो ऋषिकेश के नगर पालिका से निगम में हुए विस्तार की जरूरतों के हिसाब से ऊंट के मुंह में जीरा है।

इस दौरान पार्षद राकेश सिंह, गुरविंदर सिंह, ने कहा कि शहर को कुछ उम्मीद थी और हो गया तुषारपात। ये दुर्भाग्यपूर्ण है और शहर की बेहतरी के लिए नगर निगम को एकजुट होकर शहर का पक्ष रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेयर को इस संबंध में गंभीरता पूर्वक विचार कर राजनीति को किनारे करते हुए एकजुटता के साथ अपने अधिकारों की लड़ाई को लड़ना चाहिए।

पार्षदों ने एक स्वर में कहा कि नगर निगम बोर्ड इस मामले को मुख्य सचिव के सम्मुख रखेगा। ऋषिकेश के विकास के लिए एकजुट होकर संघर्ष किया जाएगा। हर सक्षम मंच के समक्ष शहर के साथ हुई इस नाइंसाफी को रखा जाएगा।
बैठक में नगर निगम पार्षद मनीष शर्मा, राधा रमोला, विजयलक्ष्मी शर्मा शकुंतला शर्मा, अनीता रैना, विकास तेवतिया, राजेंद्र बिष्ट, प्रभाकर शर्मा, देवेंद्र प्रजापति ,विजेंद्र मोगा, पुष्पा मिश्रा, लक्ष्मी रावत, चेतन चौहान मनीष बनवाल ,जगत सिंह नेगी, सरदार अजीत सिंह गोल्डी, गुरविंदर सिंह  मौजूद थे।

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