उत्तराखंड

परमार्थ निकेतन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गंगा आरती में की शिरकत

ऋषिकेश। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद परिवार के साथ तीर्थनगरी के परमार्थ निकेतन पहुंचे।उन्होंने गंगा आरती में शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने गंगा के महात्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गंगा भारत के साथ व्यापक पहचान जोड़ती हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दो दिन की यात्रा पर तीर्थनगरी ऋषिकेश में हैं। रविवार को हरिद्वार में कार्यक्रम के बाद शाम वो भारत की पहली महिला श्रीमती सविता कोविंद जी अपनी बेटी स्वाति के साथ परमार्थ निकेतन पहुंचे। यहां परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के नेतृत्व में ऋषिकुमारों और आचार्यों ने तिलक लगाकर, पुष्प वर्षा और शंख ध्वनि से सभी का दिव्य स्वागत किया।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने परिवार सहित गंगा आरती में शिरकत की। इस दौरान राज्यपाल गुरमीत सिंह , उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और अन्य आलाधिकारी मौजूद थे। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि माँ गंगा के समीप गंगा आरती में सम्मिलित सभी भाईयों और बहनों ये सचमुच में भावविभोर और हृदय को स्पर्श करने वाले क्षण है। मेरी कई वर्षो से इच्छा थी कि मैं इस गंगा आरती में सम्मिलित हो सकूं। कोरोना के कारण भी कार्यक्रम टलते गये लेकिन आज मुझे प्रसन्नता है कि जो मेरा अधूरा कार्य था वो आज पूरा हो गया।

माँ गंगा के बारे में जितना भी कहा जाये वह कम है। शायद कहने वालों के पास शब्द नहीं है, सुनने वाले सुनना चाहते है लेकिन मैं एक ही बात कहुंगा माँ गंगा के लिये माँ गंगा जहां से उत्पति होती है वहां पर भी वह गंगा है, गंगोत्री के नाम से जानी जाती है, जहां वह विसर्जित होती है बहुत बड़े सागर में वह भी गंगा सागर में।

गंगा ने अपना चरित्र नहीं छोड़ा उसका जो नाम था वह प्रारम्भ से बीच में और अंत वही रहा। यही माँ गंगा की सार्थकता है। एक दूसरी बात माँ गंगा भारत की अस्मिता है। माँ गंगा के बिना भारत अधूरा है और भारत के बिना माँ गंगा अधूरी है, ये एक ऐसा मिश्रण है या एक दूसरे के पूरक है। जिसकी भरपाई शायद एक सृष्टि कर्ता ने मुझे लगता है ये वरदान केवल और केवल भारत माता के कर कमलों में ही है।

मेरा न जाने कितने देशों में जाना हुआ, जब हम स्विट्जरलैंड में उनकी राष्ट्रपति महोदया से मिले तो उन्होंने मुझे एक ही सवाल किया कहा कि हमारे स्विट्जरलैंड में हमारे पास पर्याप्त पैसा है; समृद्धि है। ये इण्डिया में क्या बात है कि आप के यहां शान्ति है हमारे यहां अशांति है। यह एक ऐसा प्रश्न है जो मेरे सामने रखा तो मैने उत्तर दिया आध्यात्मिकता सबसे श्रेष्ठ है।

समारोह की शुरुआत स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डा साध्वी भगवती सरस्वती जी द्वारा माननीय राष्ट्रपति जी और भारत की प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविन्द जी के दिव्य अभिनन्दन के साथ हुई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने बताया कि वर्ष 1953-54 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी और डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन जी के अभिनन्दन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वर्ष 2019 प्रयागराज कुम्भ मेला में परमार्थ निकेतन शिविर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी का अभिनन्दन और सान्निध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।

ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डा साध्वी भगवती जी ने अपने विचार साझा करते हुये कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी का भारत का शानदार नेतृत्व वास्तव में ऐतिहासिक है। पवित्र रुद्राक्ष का पौधा और इलायची की माला से राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी का दिव्य स्वागत किया। आरती के पश्चात माननीय राष्ट्रपति जी और प्रथम महिला श्रीमती सविता कोविंद जी और उनकी बेटी ने पवित्र गंगा जी में दीप प्रवाहित किये तत्पश्चात भारत के राष्ट्रगान के गायन के साथ गंगा आरती समारोह का समापन हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *